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नेकु न चैन परै दिन रैनि / सोमनाथ

नेकु न चैन परै दिन रैनि, कहा कहिए सुख बारिद पै तिनि।
चंद्रक नीर तैं सौ गुनि होति, बुझै न जहार उपाय ठयो गिनि॥
टेरहीं सौं ब्रजबालनि के उर औरहिं आगि को बीच बयो जिनि।
री जिहि बंस भई बँसुरी, तिहि बंस को बंस निबंस भयो किनि॥