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नेक ख़ुदा का बन्दा है / रंजना वर्मा

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नेक खुदा का बन्दा है
फिर भी अब तक जिंदा है

करे तिजारत ईमां की
कहता है यह धन्धा है

रहता बड़ी नफ़ासत से
दिल पर उस का गन्दा है

जिस पर छत है टिकी हुई
वह दीवार चुनिंदा है

क़ैद नहीं कर पाओगे
इन्सां नहीं परिन्दा है

जो नेकी की राह चले
दिल दिमाग़ का मन्दा है

है वह ख्वाबों का क़ातिल
ख़ुद से ही शर्मिंदा है