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नेता स्तुति / रामकृपाल गुप्ता

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टोप मंडित शीर्ष, सज्जित बाल
स्वस्थ चिक्कण स्निग्ध लकदक खाल,
काय विस्तृत, हस्ति मंथर चाल
विपुल मेद अनूप रूप विशाल
वृकोदर लंबित अपाराकार
नमन नेताजी करो स्वीकार।
शहद में लिपटी नफीस जुबान
धवल अति, बक पंख-सा परिधान
भव्य खद्दर, रम्यअति व्यक्तित्व
पीत, रक्तिम, श्वेत, श्याम कृतित्व
अर्घ्य सेवक का करो स्वीकार,
नमन नेताजी नमन शत बार
धरा ऊपर एक, भीतर लाख
चतुर्दिक प्रसरित प्रबंधक धाक,
बहुत लंबे पाँव, लंबे हाथ,
हो तुम्हीं रघुनाथ, राधानाथ,
अति समर्थ अबूझ लीलाकार,
नमन नेताजी नमन शत बार
कभी याचक बन न मांगा वोट
सदा जीते जंग डंका चोट
लट्ठ, गोली, सुरा, ।नारी, नोट,
दंड, दाम, विभेद, नोच, खसोट,
कुछ करो अब हाथ में पतवार
नमन नेताजी नमन शत बार
घन, सघन, तम गर्त, अगम अपार,
क्या पता क्या है कहाँ, उस पार,
प्राप्य संचित करो तब अधिकार,
सुधर जाएँ पीढ़ियाँ दो-चार,
क्या करेगा कुपित पारावार,
अर्घ्य सेवक का करो स्वीकार
जब तलक सब कुछ तुम्हारे साथ,
समय, साधन, शक्ति, सत्ता, नाथ,
क्लेश में कैसे रहे परिवार,
क्यों ना हो उन्नति अनेक उभार
मूढ़ जन, मंतव्य भ्रष्टाचार
नमन नेताजी करो स्वीकार।
जनार्दन, जनता परम संत्रस्त
डिग्रियों के ढेर में पिस पस्त
हो कृपा यदि नौकरी मिल जाय
नाव उनकी भी छलक चल जाय,
लो उन्हें भी शक्तिपुंज उभार
अर्घ्य सेवक का करो स्वीकार
कर सको तो दो कोई अनुदान
छांव छप्पर करूँ ठौर-ठिकान,
अनुग्रह मिल जाय पेंशन राशि
छंद मेरे रहे युग-युग दास,
जन शिरोमणि छत्र सालावतार,
अर्घ्य सेवक का करो स्वीकार।