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नेता / केदारनाथ अग्रवाल
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तुम्हारे पाँव
देवताओं के पाँव हैं
जो जमीन पर नहीं पड़ते
हम वंदना करते हैं तुम्हारी
नेता!
रचनाकाल: २९-१२-१९६५