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नेपाल / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत

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होता है घाटियों का सफ़र प्राणघातक
चट्टान गिर सकती है
किसी भी क्षण बस पर
या फिर बस शिखर से खाई में
समय आने पर दोनों में से
कौनसा पर्याय स्वीकारा जा सकता है
निर्णय ले नहीं सकते, मृत्यु निश्चित है
दोनों ही ओर से

मृत्यु के भय से, पार ले जाती
हिमशिखरों की पुकार
अनुभूति राजधानी काठमाण्डू की
एक नया देश
एक नया प्रदेश
शून्य डिग्री सेल्सियस में भी
ना ठिठुरने वाले लोग
नहीं देखते, तापमान के आँकड़े कभी भी

'तैयारी चाऊ-चाऊ' का अर्थ पूछने पर
ड्राईवर ने कहा
‘वन ट्वेंटी फ़ाइव आई एन सी में मिलगी
लड़की एक रात के लिए”
एक नया इश्तिहार
मन विचलित करने वाला

सफ़र में दिखे कितने ही घर
पहाड़ो के शिखरों पर
घाटियों में,
फ़ॉकलैंड रोड कमाठीपुरा में दिखे
कितने ही चेहरों का इन्तज़ार करते युगों-युगों से
उनके सपने गर्भ में ही जल गए हैं घरबार के साथ

सुनहरे हिमशिखरों की स्वर्णिम झाँकी
दूर रहती है
बहुत दूर-दूर
निकलता जाता है धुआँ
कितनी ही ज़िन्दगियों से
मुम्बई हो या फिर काठमाण्डू।

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत