भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नेमसर / कन्हैया लाल सेठिया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चोर रा हाथ
साचा
पण पग काचा,
कीं न कीं कसर
राखे कुदरत नेमसर
नहीं' स कदे'र रो ही
खिंड भिंड ज्यातो
भानमती रो पसगर  !