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नेहरू जी की अंतिम यात्रा पर / कैफ़ी आज़मी
Kavita Kosh से
मेरी आवाज़ सुनो, प्यार का राग सुनो
मेरी आवाज़ सुनो ।
क्यों संवारी है ये चन्दन की चिता मेरे लिए
मैं कोई जिस्म नहीं हूँ कि जलाओगे मुझे
राख के साथ बिखर जाऊँ मैं दुनिया में
तुम जहाँ खाओगे ठोकर वहीं पाओगे मुझे
हर क़दम पर है नए मोड़ का आगाज़ सुनो
मेरी आवाज़ सुनो प्यार का राज सुनो
मेरी आवाज़ सुनो ।
मैंने एक फूल जो सीने पे सजाया था
उसके परदे में तुम्हें दिल से लगा रखा था
है जुदा सबसे मेरे इश्क का अन्दाज़ सुनो
मेरी आवाज़ सुनो प्यार का राग सुनो
मेरी आवाज़ सुनो ।