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नेह के पाँती / गोरख पाण्डेय

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तूँ हवऽ श्रम के सुरुजवा हो, हम किरिनिया तोहार
तोहरा से भगली बन्हनवा के रतिया
हमरा से हरियर भइली धरतिया
तूँ हवऽ जग के परनवा हो, हम संसरिया तोहार
तूँ हवऽ श्रम के सुरुजवा हो, हम किरिनिया तोहार।
तोहरा से डगरेला जिनगी के पहिया
हमरा से बन-बन उपजेले रहिया
रचना के हवऽ तूँ बसूलवा हो, हम रुखनिया तोहार
तूँ हवऽ श्रम के सुरुजवा हो, हम किरिनिया तोहार।
हमरा के छोडि़के न जइहऽ बिदेसवा
जइहऽ त भूलिहऽ न भेजल सनसवा
तूँ हवऽ नेहिया के पतिया हो, हम अछरिया तोहार
तूँ हवऽ श्रम के सुरुजवा हो, हम किरिनिया तोहार।
तोहरे हथौड़वा से काँपे पूंजीखोरवा
हमरे हँसुअवा से हिले भुंइखोरवा
तूँ हवऽ जूझे के पुकरवा हो, हम तुरहिया तोहार
तूँ हवऽ श्रम के सुरुजवा हो, हम किरिनिया तोहार।
चाहे जहाँ रहऽ जो न मथवा झुकइबऽ
हमरा के हरदम संगे-संगे पइबऽ
तूँ हवऽ मुकुति के धरवा हो, हम लहरिया तोहार
तूँ हवऽ श्रम के सुरुजवा हो, हम किरिनिया तोहार।