नैतिकता फूलै-फलै / अंगिका दोहा शतक / राहुल शिवाय
प्रेम तेॅ जीवन जोॅड़ छै, मन के छै श्रृंगार।
प्रेम रंग नेॅ छै करै, सुखदायी संसार।1।
सबसेॅ बड़ोॅ संसार मेॅ, मिट्ठोॅ-मिट्ठोॅ बोल।
जप-तप-पूजा-पाठ सेॅ, 'राहुल' ई अनमोल।2।
मिट्ठोॅ-मिट्ठोॅ बोल नेॅ, अपनाबै छै लोग।
प्रेम-जगत मेॅ जों मिलै, भागै छै सब रोग।3।
मन मेॅ राखोॅ तो सदा, सुन्नर-सुन्नर भाव।
तभिये घटथौं मोॅन सेॅ, 'राहुल' सुनोॅ तनाव।4।
मिली-जुली सब्भे रहोॅ, अपनाबोॅ ई ज्ञान।
फूट, टूट के जोॅड़ छै, राखोॅ 'राहुल' ध्यान।5।
अच्छा कर्मो सेॅ सदा, जानै छै संसार।
'राहुल' मन मेॅ राखियोॅ, उच्चोॅ सोच-विचार।6।
परहित कर्मो नेॅ सदा, दिलबाबै छै मान।
लोकभलाई जे करै, उहे छिकै इंसान।7।
शील-विनय-संयम बिना, मानव छै बेकार।
दुनिया मेॅ सबसे बड़ा, भाईचारा, प्यार।8।
मोती-मोती डोर सेॅ, माला बनतै भाय।
इक टा मोती केॅ केना, पिनभो कहो 'शिवाय'?9?
भाईचारा प्रेम के, फसल उगाबो भाय।
नैतिकता फूलै-फलै, चाहै इहे 'शिवाय'।10।
रचनाकाल- 25 दिसम्बर 2012