भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नैन चकोर, मुखचंद कौं वारि डारौं / ललित किशोरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नैन चकोर, मुखचंद ँकौं वारि डारौं,
वारि डारौं चित्तहिं मनमोहन चितचोर पै।

प्रानहूँ को वारि डारौं हँसन दसन लाल,
हेरन कुटिलता और लोचन की कोर पैर।

वारि डारौं मनहिं सुअंग अंग स्यामा-स्याम,
महल मिलाप रस रास की झकोर पै।

अतिहिं सुघर बर सोहत त्रिभंगी-लाल,
सरबस वारौं वा ग्रीवा की मरोर पै॥