भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नैरंगी-ए-हालात से जी डरता है / रमेश तन्हा
Kavita Kosh से
नैरंगी-ए-हालात से जी डरता है
खुद अपने ख़यालात से जी डरता है
क्या जानिए किस वक़्त ये क्या कर बैठे
इंसान की हर बात से जी डरता है।