भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नै चाहियोॅ / निर्मल सिंह
Kavita Kosh से
हेनोॅ नेता नै नी चाहियोॅ
बाँटेॅ जे इन्सान केॅ
धरती बाँटेॅ सागर आरो
हिन्दू-मुसलमान केॅ;
सूरज बाँटेॅ, चन्दा बाँटे,
बाँटेॅ धरम-ईमान केॅ;
वोट के खातिर सब कुछ बाँटेॅ
की भारत! भगवान के!