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नोटिस / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
रोशनी का एक तार
अंदर उतार कर देखा
झनझनाट हुई
सिहरना कहा जा सकता है
मेरे इस अंदाज को
किसी ने नहीं माना
चाहता था नोटिस लिया जाए
भोगा जो, देखा जाए।
महसूस करें।
अपने अंदर रोशनी करने की प्रक्रिया को।
मशक्कत थी-नाकामयाब रही
कि मैं अपने अंदर
काफी देर तक रखे रहा रोशनी का तार
कोई देखेगा
इस इतंजार में जलाता रहा खून।