नोबेल व्याख्यान / सरिता शर्मा / विलियम बटलर येट्स
आयरिश नाटक आन्दोलन
आज मैंने अपने इस भाषण के विषय के रूप में ’आयरिश नाटक आन्दोलन’ को चुना है क्योंकि जब मैं उस महान सम्मान को याद करता हूँ जिसे आपने मुझे द्ने का फ़ैसला किया, तो मैं कई जाने- माने और उन अनजान लोगों को नहीं भूल सकता, जिनके सहयोग की वजह से यह सम्मान मुझे मिल रहा है । अगर मैंने नाटक न लिखे होते, नाटकों की आलोचना न लिखी होती, अगर मेरी गेय कविता में मंचन का गुण नहीं होता — अगर वे कुछ हद तक आन्दोलन के प्रतीक नहीं होते, तो शायद अँग्रेज़ी समितियों ने मेरा नाम आपको कभी भेजा तक नहीं होता — हालाँकि उन्होंने ऐसा जान-बूझकर नहीं किया होता। मैं स्वीडन की रॉयल अकादमी को अपने साथी लेखकों के परिश्रम, जीत और परेशानियों के बारे में बताना चाहता हूँ।
आयरलैण्ड का आधुनिक साहित्य और वस्तुतः एँग्लो-आयरिश युद्ध के लिए तैयार करने वाले उत्तेजित विचारों की शुरूआत तब हुई थी, जब 1891 में पार्नेल सत्ता से हट गए थे। आयरलैण्ड भ्रान्तिमुक्त और कटुतापूर्ण होकर संसदीय राजनीति से दूर हो गया था; एक घटना की कल्पना की गई और मुझे लगता है कि लोगों ने उस घटना के लंबे विकास काल से परेशान होना शुरू कर दिया था। डॉ हाइड ने गेलिक लीग की स्थापना की थी, जिसने कई वर्षों तक राजनीतिक बहसों को गेलिक व्याकरण और राजनीतिक सभाओं को गांव की बैठकों में बदल दिया था, जहां गाने गाये जाते थे और गेलिक भाषा में कहानियां सुनाई जाती थी। इस बीच मैंने अंग्रेजी में आंदोलन शुरू कर दिया था जिस भाषा में आधुनिक आयरलैंड सोचता है और अपना कारोबार करता है; कुछ संस्थाओं की स्थापना की जहां क्लर्क, मजदूर, सभी वर्गों के लोग, उन आयरिश कवियों, उपन्यासकारों, और इतिहासकारों का अध्ययन कर सकते हैं, जिन्होंने अंग्रेजी में लिखा है और ज्यादा से ज्यादा गेलिक साहित्य का अध्ययन कर सकते हैं जिसका अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था। लेकिन हमारे ज्यादातर देशवासी अनन्त राजनीतिक भाषणों के आदी होने के कारण कम पढ़ते थे और प्रारंभ से ही हमने सोचा था कि हमारा खुद का थियेटर होना आवश्यक है। डबलिन के थियेटरों में ऐसा कुछ भी नहीं था जिसे हम अपना कह सकते थे। वे सफ़री अंग्रेज कंपनियों द्वारा किराये पर लिए गये खाली भवन थे और हम आयरिश नाटक और आयरिश अभिनेताओं को चाहते थे। जब हमने इन नाटकों के बारे में सोचा तो उस सब कुछ के बारे में सोचा जो रोमांटिक और काव्यात्मक था - क्योंकि हमने जिस राष्ट्रवाद के बारे में सोचा था - जैसा कि हर पीढ़ी ने निराशा के क्षणों में सोचा था - वह रोमांटिक और काव्यात्मक था। मगर इस तरह का थिएटर तभी संभव हो पाया जब मैं 1896 में पुरानी गॉलवे परिवार की एक सदस्य लेडी ग्रेगरी से मिला, जिन्होंने अपना जीवन उन दो गॉलवे घरों के बीच बिताया था, जहां उनका जन्म हुआ था, और जिस घर में उन्होंने शादी की थी। उनके आसपास ऐसे किसान लोग रहते थे, जो ऐसी अंग्रेजी में कहानियां सुनाते थे जिसकी अधिकांश वाक्य रचना गेलिक से और ज्यादातर शब्दावली ट्यूडर अंग्रेजी से ली गयी थी, मगर जब लेडी ग्रेगरी ने लिखना शुरू किया तब हमें यह बहुत बाद में पता चला कि उनकी बोली में हमारा सबसे शक्तिशाली नाटकीय औजार था। हालांकि मेरे नाटक बोली के बिना और छंदमुक्त अंग्रेजी कविता में लिखे गये थे, मुझे लगता है वह हमारे आंदोलन की ओर इसलिए आकर्षित हुई थी क्योंकि हमारी विषय- वस्तु देहात की कहानियों की विषय- वस्तु के ज्यादा भिन्न नहीं थी। उनके अपने घर की सुरक्षा उनकी उपस्थिति से हो जाती है मगर जिस घर में उनका जन्म हुआ था उसे कुछ महीने पहले आग लगा कर जला दिया गया था; और आयरलैंड के ज्यादातर हिस्सों में इस तरह की अव्यवस्था फैली हुई है। एक एकड़ जमीन को लेकर होने वाला घटिया विवाद हमारे देशवासियों को जंगली बर्बरता के लिए भड़का सकता है, और अगर अंग्रेज सहायक पुलिस के साथ उनकी लड़ाई में उनके साथ कोई दया नहीं दिखायी गयी तो उन्होंने भी कोई दया नहीं दिखायी: हत्या के जवाब हत्या से दिये। फिर भी अज्ञानता और हिंसा श्रेष्ठ सौंदर्य को याद कर सकते हैं। मेरे पास गॉलवे में एक छोटा सा पुराना बुर्ज है, और जब मैं उसकी चोटी पर चढ़ता हूँ तो मैं पास ही एक हरे खेत को देख सकता हूँ जहां कभी छोटे से स्थानीय मालिक की उप-पत्नी, देहात की जानी- मानी सुन्दरी की फूस की झोंपड़ी हुआ करती थी। हालांकि उसे याद आ गया जब मैंने उसे जानने वाले बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं से बात की, हालांकि वे अब सब मर चुके हैं, तो उन्होंने उसके बारे में ऐसे बात की जैसे ट्रॉय की दीवार पर बैठे बूढ़े आदमियों ने हेलेन के बारे में बात की थी; और न ही आदमी और औरतों की प्रशंसा में कोई मतभेद था। अपनी जवानी के दिनों में पड़ोस में बदनाम एक बूढ़ी औरत ने उसके बारे में कहा, "जब मैं उसके बारे में सोचती हूँ तो बुरी तरह से कांप जाती हूँ"; और पास के पर्वत पर रहने वाली एक और बुजुर्ग महिला ने कहा, "सूर्य और चंद्रमा उस सुंदरी से ज्यादा किसी और पर कभी नहीं चमके, और वह इतनी गोरी थी कि उसका रंग नीला लगता था। उसके गाल पर दो छोटे गड्ढे पड़ा करते थे।" और ऐसे आदमी थे जिन्होंने सुनहले दिन उस महिला को देखने के लिए इकट्ठे हुए लोगों की भीड़ और उस आदमी के बारे में बताया 'जिसकी मृत्यु नदी में तैरते हुए इसलिए हो गयी थी' ताकि वह उस महिला की झलक पा सके। गेलिक कवि द्वारा लिख्रे गये एक गीत से वह महिला प्रसिद्ध हो गयी और कुटिया में रहने वाले अब भी इसे गाते हैं, हालांकि अब गाने वाले इतने नहीं बचे हैं जितने मेरे बचपन के दिनों में हुआ करते थे:
अरे प्रकाश के सितारे और फसल में धूप,
हे एम्बर बाल, अरे दुनिया के मेरे हिस्से,
यह मेरी हाइंस है, शांत और सरल औरत
उसका सौंदर्य उसके शरीर में और उसके मन में है।
ऐसा लग रहा था मानो प्राचीन दुनिया उसकी कल्पना की आजादी, अच्छी कहानियों में उसकी खुशी, आदमी की ताकत और औरत की सुंदरता के साथ हमारे सामने मौजूद थी, और हमें बस यह करना था कि शहर को यह सोचने के लिए सक्षम बनायें कि देहात क्या महसूस करता था; मगर हमें जल्दी ही पता चल गया कि शहर वही सोच सकता है जो शहर सोचता था।
देहात में आप अपनी खुद की हिंसा, अपने भारीपन, और जीवन की आम त्रासदी के साथ अकेले हैं, और अगर आपके पास कोई भी कलात्मक क्षमता है तो आप सुंदर भावना की इच्छा रखेंगे और मौसम हमेशा ही निश्चित होंगे, चाहे उनकी अभिव्यक्ति कितनी भी भविष्यवादी हो। शहर में, जहां हर कोई आपको घेरे रहता है; अगर आप अपना और पड़ोसी का जीवन कटु नहीं बनाना चाहते हैं या शायद यहां तक कि आप किसी प्रकार के क्रांतिकारी उन्माद में उसकी हत्या नहीं करना चाहते हैं, तो आप अपने आपसे नहीं, बल्कि अपने पड़ोसी से नफरत कर रहे होते हैं और किसी को वास्तविकता और न्याय सिखाना चाहिए। आप उस शिक्षक से थोड़ी देर नफरत करेंगे उसकी पुस्तकों और नाटकों को भद्दा, दिशाहीन, रुग्ण या उस तरह का कुछ बतायेंगे, लेकिन आपको अंत में उसके साथ सहमत होना पड़ेगा। हमने खुद को आम जनता से टकराव की स्थिति में पाया जिससे हमें अपनी और हमारे अभिनेताओं की मर्जी के खिलाफ हमेशा अधिक यथार्थवादी बनना पड़ा, कविता और आम बातचीत की जगह बोली का इस्तेमाल करना पड़ा था।
मैंने लेडी ग्रेगरी बताया था कि मुझे थिएटर के लिए पैसा मिलने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही थी और हमें यह उम्मीद नहीं रखनी चाहिए और उन्होंने अपने दोस्तों से पैसे लेने का वादा किया। उनके पड़ोसी, श्री एडवर्ड मार्टिन ने हमारे पहले प्रदर्शन के लिए पैसा लगाया; और हमारे पहले अभिनेता इंग्लैंड से आये थे; लेकिन फिलहाल हमने अपने आयरिश अभिनेताओं के साथ छोटी सी कंपनी बनाकर असली काम शुरू किया था। किसी ने मुझसे एक व्याख्यान के दौरान पूछा था "आपको आपके अभिनेता कहां मिलेंगे?" और मैंने कहा था, "मैं भीड़ भरे कमरे में जाकर पर्चियों पर सब लोगों के नाम लिखकर उन सब पर्चियों को एक टोपी में डाल दूंगा और उनमें से पहली बारह पर्चियां उठाऊंगा।" मैं अक्सर भविष्यवाणी के बारे में हैरान होता हूँ, क्योंकि हालांकि शायद इसे प्रश्नकर्ता को उलझाने और भ्रमित करने के लिए कहा गया था, यह भविष्यवाणी लगभग सही साबित हो गयी थी। हमारे दो श्रेष्ठ पुरुष अभिनेताओं का चयन संयोगवश नहीं किया गया था क्योंकि एक नाटकों का शौक़ीन वकील का क्लर्क था और दूसरा नौकरी करने वाला व्यक्ति था जिसने एक नीग्रो द्वारा प्रबंधित नाट्य कंपनी में आयरलैंड का दौरा किया था। मुझे शक है कि उसने इससे कुछ खास सीखा होगा क्योंकि उसके तरीके अभद्र और फूहड़ थे, मंच की परम्परा इतनी कट्टर थी कि जब नीग्रो को श्वेत पात्र की भूमिका निभानी होती थी तो वह अपने चेहरे पर सफेद पाउडर पोत लेता था और जब अश्वेत पात्र की भूमिका के लिए चेहरे पर काला रंग लगा दिया जाता था। अगर किसी अभिनेता को मंच पर पत्र खोलना होता था तो इसमें कोई शक नहीं है कि वह हथेली खोलकर उस पर मारता था, जैसा कि मैंने अपनी जवानी में अभिनेताओं को करते हुए देखा था, एक ऐसा इशारा जिसका अर्थ पीढ़ियों पहले तब खत्म हो गया गया था जब बालू की जगह सोख्ता कागज इस्तेमाल किया जाने लगा था। फिर भी हमारी महिलाएं छोटे से राजनीतिक समुदाय से थीं जिसका उद्देश्य गरीबों के बच्चों को शिक्षित करना बताया गया था जिसका अर्थ उसके दुश्मनों के अनुसार यह था कि उन्हें जिरह करना सिखाया जाता था जो इस सवाल से शुरू होती थी, "बुराई की जड़ क्या है" और जवाब होता था, "इंग्लैंड"।
और वे हमारे पास देशभक्ति के कारणों से आयी थीं और उन्होंने उसी आवेग से काम किया जिससे उन्होंने सीखा था, और फिर भी उन दोनों ने खुद को प्रतिभाशाली अभिनेता साबित कर दिया था: वे मिस आलगुड और मिस 'मेअर ओ नील' थीं। वे बहनें थीं, एक एकदम सादगीपसंद, लोक गीत और लोक कथाओं से ढाले गये मन वाली; और दूसरी परिष्कृत, गीतात्मक, और तीव्र बुद्धि वाली थी। मुझे पता नहीं है कि जब उनमें अनूठी नई शक्ति का संचार हुआ था तो वे क्या सोच रही थी, लेकिन मुझे लगता है कि उनकी अंतरात्मा ने कचोटा होगा, यह महसूस हुआ होगा कि देशभक्ति का पुराना आवेग खत्म हो गया था और वे घमंडी या महत्वाकांक्षी हो गयी थीं। फिर भी मैं सोचता हूँ कि यह उनकी स्वयं के बारे में पहली गलतफहमी थी जिसने उनकी विशेष प्रतिभा को संभव बना दिया है, क्योंकि अगर वे नाट्य महत्वाकांक्षाओं के साथ हमारे पास आयी होती तो वे प्रसिद्ध अंग्रेज अभिनेता नक़ल करती और जाने-माने अंग्रेजी नाटकों में अभिनय करने की कामना करतीं। अगर हम लंबे समय तक अपने खोल के भीतर पक्षी की तरह गुमनाम रहते हुए अपने नाटक आम तौर पर आम रास्ते से हटकर किसी गली के जर्जर, छोटे से हॉल में नहीं कर रहे होते, तो उन्हें अपनी प्रतिभा का पता नहीं चलता। हम राजनीतिक गलतफहमी के सिवाय और किसी बात से न डरते हुए, प्रयोग और इंतजार कर सकते थे। हमारे पास थोड़े से पैसे थे और पहली बार हमें थोड़े और धन की जरूरत थी, लेडी ग्रेगरी ने 25 पाउंड और मैंने 20 पाउंड दिये थे और कुछ पाउंड यहां - वहां से जुटाये गये थे। और हमारा नाट्य संगठन हास्यास्पद था, अभिनेता और लेखक सब एक साथ बैठकर वोट से तय करते थे कि कौन सा नाटक दिखाया जाना चाहिए और इसमें किस अभिनेता को अभिनय करना चाहिए। इसमें बहुत गड़बड़ी होती थी, कई सप्ताह तक बहस चलती थी, जिसके दौरान कोई नाटक नहीं किया जाता था, जब तक कि लेडी ग्रेगरी और जॉन सिन्जे और मेरे हाथों में नियंत्रण नहीं दिया गया था। और जनता के साथ हमारे संबंध और भी ज्यादा खराब थे। और एक नाटक पर हिंसक देशभक्त प्रेस द्वारा हमला किया गया था क्योंकि उसमें एक शादीशुदा किसान औरत का वर्णन किया गया था जिसका एक प्रेमी था, और जब हमने उस प्राचीन अरान लोक कथा को प्रकाशित किया जिस पर यह नाटक आधारित था, तो प्रेस ने कहा कि कहानी को बुतपरस्त रोम के किसी पतित लेखक से नकल किया गया था। उन दिनों, लेडी ग्रेगरी ने पहला सुखांत नाटक लिखा था। मेरे काव्य नाटक इतने लम्बे नहीं थे कि शाम का समय बिताया जा सके और इसलिए उन्होंने अपने पड़ोस की बोली में देहाती प्रेम कहानी पर आधारित छोटे-छोटे नाटक लिखे थे। एक ग्रामवासी एक सौ पाउंड के साथ अमेरिका से लौटता है और उसे पता चलता है उसकी पुरानी प्रेमिका की शादी एक दिवालिया किसान से हो गयी है। वह किसान के साथ ताश खेलता है और खुद के साथ धोखाधड़ी करके, उसे 100 पाउंड दे देता है। कंपनी ने नाटक करने से मना कर दिया क्योंकि उन्होंने कहा कि उत्प्रवासी की वापसी को सौ पाउंड के साथ स्वीकार करने से उत्प्रवास को प्रोत्साहन मिलेगा। हमने इससे बहुत बड़ी रकम के साथ लौट कर आए प्रवासियों के सबूत दिये, लेकिन मामला और भी बदतर हो गया था। तो फिर इस अनन्त बहस के बाद हम भी थक गये थे, लेडी ग्रेगरी राशि को घटा कर बीस पाउंड करने के लिए सहमत हो गयी और अभिनेता मान गये। वह छोटा सा नाटक भावुकतापूर्ण और परंपरागत था, लेकिन उनके अगले नाटक से उनकी प्रतिभा की खोज का पता चला। उनकी भी सेवा करने की इच्छा थी, और यह प्रतिभा उन्हें स्वयं चमत्कारी लग रही होगी। वह अधेड़ हो गयी थी और राजनीतिक संस्मरण के एक खंड के सिवाय कुछ भी नहीं लिखा था और उनकी थिएटर में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
आज उनके नाटक ‘सेवन शोर्ट प्लेज’ को पढ़ने वाले किसी भी व्यक्ति को यह नहीं समझ आता है कि उन में से एक, ‘दि राइजिंग ऑफ़ दि मून’ जो अब आयरिश क्लासिक है, को राजनीतिक दुश्मनी के चलते दो साल तक क्यों नहीं दिखाया जा सका था। पुलिसकर्मी को एक भागा हुआ क्रन्तिकारी कैदी मिलता है और वह उसे छोड़ देता है क्योंकि कैदी ने कुछ पुराने गीतों को गा कर पुलिसकर्मी की जवानी की लगभग भूली हुई देशभक्ति को जगा दिया था। अभिनेता इसे मंचित नहीं कर सकते थे क्योंकि उन्होंने कहा कि यह स्वीकार करना देशद्रोह का कार्य होगा कि कोई पुलिसकर्मी देशभक्ति के लिए सक्षम हो सकता है। भीड़ के एक जाने-माने नेता ने मुझे लिखा "अगर डबलिन पुलिस को देशभक्ति के लिए सक्षम माना जाता है, तो उससे भीड़ से लड़ने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?" जब अंततः नाटक किया गया तो उसका स्वागत उत्साह के साथ किया गया था, लेकिन वह नई मुसीबत में फंस गया था। प्रमुख समाचार पत्र ‘यूनियनिस्ट डबलिन’ ने महामहीम की सेना का अपमान करने के लिए इसकी निंदा की, और आयरलैंड में अंग्रेज सरकार के केंद्र ‘डबलिन कैसल’ ने हमें पुलिस के पुराने कपड़े मंच के लिए खरीदने के विशेषाधिकार से वंचित कर दिया जो हमें अन्य डबलिन थियेटरों से प्राप्त था। कैसल और प्रेस, दोनों को पता था कि पुलिस अक्सर राजनीतिक कैदियों को रिहा कर देती है, लेकिन इससे मामला और भी बिगड़ गया। हर राजनीतिक दल की जीवन का स्थानापन्न बनने की इच्छा थी,जो कभी एक ही बात को दो बार नहीं करता, विश्वसनीय सिद्धांतों और उक्तियों का पुलिंदा था। और न ही धार्मिक कट्टरपंथियों ने हमें राजनीतिक दल से ज्यादा पसंद किया था; कार्डिनल लॉग ने मेरे नाटक ‘काउंटेस कैथलीन’ को विधर्मी नाटक बताकर उसकी निंदा की थी, और जब मैंने लिखा कि हम 'विदेशी कृतियों' पर नाटक करना चाहेंगे, तो एक राष्ट्रवादी अखबार ने घोषित किया था कि "विदेशी कृति बहुत ही खतरनाक होती है"। जिन छोटे हालों में हमने नाटक किया, वहां ज्यादा से ज्यादा तीन – चार सौ लोगों को बैठाया जा सकता था और हमारे दर्शक अक्सर बीस या तीस से अधिक नहीं होते थे, और हम महीने में दो या तीन बार नाटक किया करते थे और झगड़े के दौरान वे भी नहीं होते थे। लेकिन प्रमुख लेखों की कोई कमी नहीं थी, जब हमें शुरू से मान्यता प्राप्त जनता के लिए खतरा मान लिया गया था। दो घटनाओं ने हमें विजय दिलाई, एक मित्र ने हमें थियेटर दिया था, और हमें अजीबोगरीब प्रतिभावान व्यक्ति, जॉन सिन्जे मिला। एक बहुत ही क्रोधपूर्ण प्रमुख लेख के बाद मैंने पर्दे के आगे आकर सैंकड़ों दर्शकों से उनके समर्थन के लिए अनुरोध किया था। जब मैं मंच से उतरा तो एक पुरानी दोस्त, मिस होर्निमैन, जिससे मैं बीस पाउंड के योगदान की उम्मीद कर रहा था, ने कहा "मैं तुम्हारे लिए थियेटर तलाश करूँगी।" उसने थियेटर तलाश किया और हमारे उद्देश्य के लिए थियेटर को बदल दिया जो आजकल डबलिन का ऐबे थियेटर है, और कुछ वर्षों तक हमें आर्थिक सहायता दी थी।
मैंने 1896 में पेरिस में जॉन सिन्जे से मुलाकात की थी। किसी ने कहा था,"आपके होटल की सबसे ऊपरी मंजिल पर एक आयलैंडवासी रहते हैं; उनसे आपका परिचय कराऊंगा"। मैं बहुत गरीब था, लेकिन वह मुझसे भी ज्यादा गरीब थे। वह बहुत पुराने आयरिश परिवार से थे और यद्यपि वह बेहद सरल, विनम्र आदमी थे, वह इसे याद करते और वह अभिमानी और अकेले थे। वह खुद को भुखमरी से दूर रखने के लिए, जब- तब अधपेट रहते हुए यूरोप में तीसरे दर्जे में या पैदल घूमते हुए गरीब लोगों के लिए सड़कों पर या उनकी कुटियाओं में वायलिन बजाते फिरते थे। हमें उस आदमी की जरूरत थी क्योंकि मैं अब तक जिन्हें जानता था, उनमें वह अकेला ऐसा आदमी था जो किसी भी राजनीतिक सोच या मानवीय उद्देश्य को नहीं मानता था। वह किसी गरीब आदमी के साथ सड़क किनारे उसका भला करने की इच्छा के बिना सारा दिन बस इसलिए चल सकता था कि वह उसे पसंद करता था। हालांकि अपने सीधे प्रभाव की जगह अन्य नाटककारों पर उनके प्रभाव से उन्हें आयरलैंड के लिए वह करना था, जो रॉबर्ट बर्न्स ने स्कॉटलैंड के लिए किया था । जब स्कॉटलैंड ने खुद को उदास और धार्मिक समझा, विधि ने रॉबर्ट बर्न्स को मदिरा और शैतान की सराहना करने के लिए भड़का कर स्कॉटलैंड की कल्पनाशील सहजता को वापस लौटाया। तथापि, जब मैंने जॉन सिन्जे को गॉलवे तट से दूर एक जंगली द्वीप पर जाकर उसके जीवन का अध्ययन करने की सलाह दी थी क्योंकि जीवन को 'साहित्य में कभी भी व्यक्त नहीं किया गया था' मुझे अंदाजा नहीं था कि क्या नतीजा होगा। उन्होंने कॉलेज में गेलिक सीखी थी, मैंने उन्हें वह कहा जोकि मैंने गेलिक जानने वाले और लिखने के इच्छुक किसी भी युवक को कह दिया होता। जब वह उस जंगली द्वीप पर पहुंचे और 'अमीर की तुच्छता और गरीबों की गन्दगी से' छुटकारा पाकर पहली बार खुश हो गये। उनकी सेहत खराब थी, वह इस द्वीप की कठिनाई को लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं कर पाये थे, लेकिन वह वहाँ और डबलिन के बीच आते- जाते रहे थे।
बर्न्स खुद स्कॉटिश पादरी की सभा को उतना ज्यादा क्षुब्ध नहीं कर सकता था जितना कि उन्होंने हमारे अभिनेताओं को क्षुब्ध किया था। कुछ महिलायें उनके पास गयीं और उनसे '98 के विद्रोह के बारे में एक नाटक लिखने की विनती की, और उन्हें बहुत सच्चाई से कहा कि इस तरह का देशभक्ति के विषय पर लिखा हुआ नाटक बहुत सफल होगा। वह एक पखवाड़े के बाद एक रूपरेखा के साथ लौट आये जिस पर उन्होंने श्रमसाध्य तरीके से मेहनत की थी। दो महिलायें, एक प्रोटेस्टेंट और एक कैथोलिक औरत एक गुफा में शरण लेती हैं, और अपने- अपने धर्मों की खूबियों के बारे में अनन्त बहस करती हैं। कैथोलिक महिला हेनरी अष्टम की, और प्रोटेस्टेंट महिला न्यायिक जांच और पोप की निंदा करती हैं। वे धीमी आवाज में बहस करती हैं। एक को विद्रोहियों द्वारा और दूसरी को वफादार सैनिकों द्वारा बलात्कृत होने का डर है। लेकिन आख़िरकार प्रोटेस्टेंट या कैथोलिक महिला में से एक कहती है कि वह ऐसे दुष्ट लोगों के साथ और ज्यादा समय तक रहने के बजाय किसी भी प्रकार की नियति को चुनेगी और वह ऊपर चढ़ जाती है। वह नाटक न तो लिखा गया और न उसका मंचन हो पाया और मैं न तब और न ही कभी उसके बाद ही यह पता लगा पाया कि क्या सिन्जे यह समझ पाये थे कि वह कितना बड़ा आघात दे रहे थे। उन्होंने निश्चित रूप से किसी भी तरह से उस मुसीबत की उम्मीद नहीं की होगी जो उनके महानतम नाटक के कारण हम पर आयी थी।
सिन्जे से पहली मुलाकात से कुछ महीने पहले, जब मैं अरान के द्वीप के बीच में एक मछली पकड़ने की डोंगी से उतरा, द्वीपवासियों का छोटा सा समूह, जो किसी अजनबी के आगमन को देखने के लिए एकत्र हुआ था, मेरे पास 'द्वीप के सबसे बूढे आदमी' को लेकर आया। उसने बहुत धीरे से बस दो वाक्य कहे "अगर इस सज्जन ने कोई अपराध किया है, तो हम उसे छिपा देंगे"। वहां एक व्यक्ति था जिसने अपने पिता को मार डाला था और वह तीन महीने तक मेरे घर में रहा जब तक कि वह अमेरिका भाग नहीं गया था। वह नाटक उस बूढ़े आदमी की कहानी पर आधारित था जिसे सिन्जे अपने साथ वापस लाया था। एक युवक किसी छोटे से सार्वजनिक गृह पर आता है और शराबख़ाने के मालिक की बेटी को बताता है कि उसने अपने पिता की हत्या कर दी है। वह इसे इस तरह बताता है कि वह उसकी पूरी सहानुभूति पा लेता है और जब भी वह इसे बढ़ा- चढ़ाकर और नई बातें जोड़कर बताता है, तो हर बार किसी न किसी की सहानुभूति का पात्र बन जाता है क्योंकि कानून के खिलाफ होना देहातियों की आदत है। ग्रामवासी सोचता है कि अपराध जितना अधिक जघन्य होता है, उसके लिए उकसावा उतना ही ज्यादा होगा। युवक अपनी खुद की कहानी के उत्साह में खुद खुशमिजाज, ऊर्जावान, और भाग्यशाली हो जाता है। वह प्यार में सफल होता है और स्थानीय दौड़ों में प्रथम में आता है और बाद में जुए के खेल की मेज पर दिवालिया हो जाता है। उसके बाद पिता सिर पर पट्टी बांधे, लेकिन बहुत खुश नजर आता है, और लोग पाखण्डी पर हमला कर देते हैं। वह अपना सम्मान फिर से पाने के लिए अपने पिता को मारने के लिए गम्भीरता से कुदाल उठाता है, लेकिन कहानी में जो इतना अच्छा लग रहा था उस खतरे से भयभीत होकर, वे उसे पुलिस के हवाले करने के लिए बाँध देते हैं। पिता उसे छोड़ देते हैं और पिता और पुत्र अभी भी कल्पना से उत्साहित होकर यह घोषणा करते हुए एक साथ चले गये कि वह आगे से और दक्ष हो जायेगा। हमारी बोली के थियेटर की नयनाभिराम, काव्यात्मक, विलक्षण, शैली और संगीत की उत्कृष्ट कृति ने जनता के रोष को जगा दिया। हमने पुलिस की सुरक्षा में यह नाटक किया, कल रात थिएटर में सत्तर पुलिसकर्मी थे और कुछ अख़बार वालों ने कहा कि पांच सौ पुलिसकर्मी बाहर सड़कों पर व्यवस्था बनाये हुए थे। इसका मंचन कभी भी आयरिश दर्शकों से सामने पहली बार अभिनेताओं पर कुछ न कुछ फेंके बिना नहीं किया गया है। न्यूयॉर्क में एक किशमिश केक और एक घड़ी फेंकी गयी, घड़ी के मालिक ने इसे बाद में मंच के दरवाजे पर मांग लिया। हालांकि, डबलिन के दर्शकों ने, नाटक को लंबे समय से स्वीकार कर लिया है। मुझे लगता है, कि उन दर्शकों ने देखा है कि मंच पर हर कोई किसी न किसी तरह से प्यारा और मिलनसार है और यह पाया कि हालांकि अतिरंजित प्रतीकों के माध्यम से, सिन्जे ने यथार्थ का वर्णन किया है जिससे उन्हें शुद्ध रूप से प्रेम था क्योंकि उन्हें सब सच्चाई प्रिय थी। इसलिए जैसा उन्होंने सोचा था, इंग्लैंड के हित में काम कर रहे राजनीतिज्ञ के बजाय, इतने कम राजनीतिज्ञ थे कि दुनिया उन्हें केवल आनंदित करती थी और उनकी दया को छूती थी। फिर भी जब 1910 में सिन्जे की मृत्यु हो गई, तब तक भी राय शायद ही बदली हो, हम एक लगभग खाली थियेटर में नाटक कर रहे थे और प्रेस में लगातार निंदा की जा रही थी। हमारी जीत उन लोगों ने हासिल की जिन्होंने उनसे साहस और ईमानदारी सीखी है, लेकिन जो अलग विचारधारा के थे। सिन्जे की रचनायें, लेडी ग्रेगरी की पुस्तकें, मेरा अपना नाटक ‘कैथलीन नी हौलिहान’, और मेरा गद्य नाटक ‘ऑवर ग्लास’ हमारी पहली महत्वाकांक्षा के लक्षण हैं। वे देश की कल्पना और भाषा, मध्य युग से चल रही सम्पूर्ण काव्यगत परंपरा को शहर के लोगों तक पहुंचाते हैं। जिन्होंने सिन्जे से सीखा, उन लोगों को अक्सर देश का बहुत कम ज्ञान था और हमेशा अपनी बोली में कम दिलचस्पी थी। उनके नाटकों में अक्सर जाहिर कुप्रथा पर प्रहार किया जाता है जैसे डिस्पेंसरी में डॉक्टर की नियुक्ति के लिए रिश्वतखोरी, किसी स्थानीय राजनेता के सभी दलों के साथ मित्रता रखने के प्रयास। दरअसल, मुझे लगता है, कि स्वतंत्र राष्ट्र के युवा मंत्रियों और दल के नेताओं ने अपनी कुछ शिक्षा हमारे नाटकों से पाई है। फिर भी, अनेक हास्य नाटक हैं जो राजनीतिक व्यंग्य नहीं हैं, हालांकि वे शहर की राजनीति से ग्रस्त लोगों के जीवन से जुड़े हैं। इनमें से श्रीमान लेनोक्स रॉबिन्सन के नाटक ज्यादा विख्यात हैं; उनके नाटक ‘वाइटहेडिड ब्वाय’ का इंग्लैंड और अमेरिका में प्रदर्शन हुआ है। हाल ही में, ऐसा लगता है कि पद्धति समाप्त हो रही थी क्योंकि पुराने कथानकों को मामूली बदलाव के साथ दोहराया जाता है और चरित्र चित्रण यंत्रवत होने लगा है। अभी यह बताने का समय नहीं आया है कि पिछले चार वर्षों के सनसनीखेज नाटक और त्रासदी से हमें क्या मिलेगा, लेकिन अगर हम अपने अभिनेताओं को भुगतान कर सकते हैं और थियेटर को चालू रखते हैं, तो कुछ न कुछ हासिल कर सकते हैं। हम कर्ज के बोझ के तले दबे हुए हैं क्योंकि हम युद्ध और गृहयुद्ध से गुजरे हैं और सड़कों पर गोलाबारी हो रही है और जब सड़कों पर गोलाबारी होती है तो दर्शक कम हो जाते हैं। हम फिर भी, बचे हुए हैं कि मैं अपने भाग्य में विश्वास करता हूँ, और सोचता हूँ कि मुझे यह कहने का अधिकार है कि मैं अपने व्याख्यान का अंत बीच में या कहानी की शुरुआत में कर दूँ। लेकिन निश्चित रूप से मुझे लगता है मैंने इतना कह दिया है कि आप समझ सकें कि जब मैंने आपके राजा के हाथों से महान सम्मान प्राप्त किया जिससे अकादमी ने मुझे सम्मानित किया है, तो मैंने महसूस किया है कि मैंने अपनी एक तरफ एक जवान आदमी के भूत और दूसरी तरफ बुढ़ापे में फुर्तीली रहने वाली जिन्दा औरत को खड़े हुए देखा है। मैंने पिछले सप्ताह में ऐसा बहुत कम देखा है, जो सिन्जे और लेडी ग्रेगरी के लिए यादगार और रोमांचक नहीं होता क्योंकि स्वीडन ने उससे ज्यादा हासिल किया है जिसकी हमने अपने देश के लिए आशा की है। मेरे विचार से सबसे ज्यादा शायद आपके दरबार का शानदार नजारा है, प्यारा और सक्षम परिवार जिसमें इस देश के न सिर्फ प्रतिष्ठित, बल्कि बुद्धिमान व्यक्ति एकत्र हुए हैं। आयरलैंड में इस तरह का कोई नजारा, इसके अनुशासन और अभिरुचि के कार्य को नहीं दर्शायेगा, हालांकि यह मानव जाति की एक जरूरत को पूरा कर सकता है जिसे अंग्रेजी या अमेरिकी लोकतंत्र के द्वारा बनाई गई कोई संस्था पूरा नहीं कर सकती है।