भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नौकर और बच्चे:दो / प्रफुल्ल कुमार परवेज़

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सर्दी में उसे
लगती थी सर्दी
गर्मी में गर्मी

सबके बराबर
लगती थी भूख

वह
बच्चों की किताबों को
हसरत से देखता था

हसरत से देखता था
बच्चों के कपड़े
बच्चों का खाना
बच्चों के खिलौने

रह-रह कर उसे
याद आती थी माँ
मचलता था वह
घर याद आने पर

कहाँ था वह नौकर
नौकरी के क़ाबिल
कहाँ था?