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नौने नीके आजुल जू हो तो जइयो सजन घरै / बुन्देली
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
नौने नीके आजुल जू हो तो जइयो सजन घरै।
तुमें सजना बुलावें हौं तो रहियो एका घरी।
माथे पगड़िया हो तो सिर पै बेला कली।
नौने नीके बाबुल हो तो जइयो सजन घरै।
तुमें सजना बुलावें हो तो रहियो एका घरी।
नौने नीके काका हो तो जइयो सजन घरै।
माथे पगड़िया हो तो सिर पै बेला कली।
तुमें सजना बुलावें हो।