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नौ महीने / सजीव सारथी
Kavita Kosh से
आँगन में बैठी माँ,
बच्ची के बाल संवार रही थी,
बच्ची उंगलियों से,
मिट्टी पर अपना नाम लिख रही थी,
माँ ने उसकी चुटिया बना दी,
बच्ची ने दर्पण में मुख देखा,
और हंस पड़ी,
माँ ने उसकी पीठ पर थपकी दी,
बच्ची उठी
और चौखट की तरफ़ भागी,
राह में रखी थाली
पाँव से टकरायी,
उलट गयी।
थाली में रखे
मटर के दाने
बिखर गए,
"हे मरी"
माँ ने एक
मीठी सी गाली दी,
अपनी किस्मत को कोसा,
फ़िर उठकर
बिखरे दाने बीनने लगी ।
आज उसकी बच्ची का जन्मदिन है,
आज वह पूरे नौ साल की हो जायेगी,
नौ साल, नौ महीने की...