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न्यूं कह रही धौली गाय / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
न्यूं कह रही धौली गाय
मेरी कोई सुणता नाई
मेरे कितने सिरी भगवान
मैं दुख पा रही
मेरा दूध पिवै संसार
घी तै खावै खीचड़ी
मेरे पूत कमावें नाज
मैंघे भा की रूई
जब भी मेरे गल पै छुरी