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न्यू इंग्लैंड 1967 / होर्खे लुइस बोर्खेस
Kavita Kosh से
मेरे सपनों में आकृतियाँ बदल गई हैं;
अब साथ लगे लाल घर हैं
और काँसे रंगी नाज़ुक पत्तियाँ
और अक्षत सर्दी और पावन लकड़ी.
सातवें दिन की तरह दुनिया
अच्छी है. साँझ में बनी हुई है
किंचित साहसी, उदास प्राचीन बुड़बुड़ाहट,
बाईबिलों और युद्ध की ।
जल्द ही पहली बर्फ़ गिर जाएगी (वे कहते हैं)
अमेरिका मेरा इन्तज़ार कर रहा है हर सड़क पर,
मगर कल कुछ पल ऐसा लगा और आज बहुत देर तक
ढलती शाम में महसूस करता हूँ ।
ब्यूनस आयर्स, मैं भटकता हूँ
तुम्हारी सड़कों पर बेवक़्त और अकारण ।