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न्यू इंडिया है ये / जय चक्रवर्ती
Kavita Kosh से
एक हाथ मे बाइक दूजे मे
मोबाइल है
न्यू इंडिया है, ये इसका-
‘लाइफ-स्टाइल’ है
नहीं ‘फेस-टू-फेस’ कहीं
मिलता कोई अपना
फॉलो होता सिर्फ
फेसबुक पर हरेक सपना
‘मेल’ और ;मैसेज़’ मे सिमटे
सब रिश्ते-नाते –
आभासी–चेहरों पर
‘आभासी स्माइल’ है
टीवी की आँखों मे
बसने की लेकर आशा
सीख रही पीढ़ी
संस्कारों की नूतन भाषा
‘हेलो’ ‘हाय’ ‘टाटा’
‘ओके वाली ‘मेमोरी’ से-
हुई ‘डिलीट’
प्रणाम-नमस्ते वाली ‘फ़ाइल‘ है
चढ़ा मीडिया के कंधों
बाज़ार शिकारी है
शयन-कक्ष से पूजाघर तक
इसकी यारी है
गाँव-शहर ‘मॉडर्न’ हुए
सब बदल गए चेहरे-
जो जितना लक़दक़
उतनी ऊँची ‘प्रोफ़ाइल‘ है