भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
न आया वह / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
न आया वह
- जिसे आना था मेरे पास
फूल का गुलदस्ता भेंट के लिए
- खोल दिया था जिसके अस्तित्व के लिए
- मैंने अपना अस्तित्व