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न जाना आज तक क्या शै ख़ुशी है / फ़िराक़ गोरखपुरी
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ना जाना आज तक क्या शै खुशी है
हमारी ज़िन्दगी भी ज़िन्दगी है
तेरे गम से शिकायत सी रही है
मुझे सचमुच बडी शर्मिन्दगी है
मोहब्बत में कभी सोचा है यूं भी
कि तुझसे दोस्ती या दुश्मनी है
कोई दम का हूं मेहमां, मुंह ना फ़ेरो
अभी आंखों में कुछ कुछ रोशनी है
ज़माना ज़ुल्म मुझ पर कर रहा है
तुम ऐसा कर सको तो बात भी है
झलक मासूमियों में शोखियों की
बहुत रंगीन तेरी सादगी है
इसे सुन लो, सबब इसका ना पूछो
मुझे तुम से मोहब्बत हो गई है
सुना है इक नगर है आंसूओं का
उसी का दूसरा नाम आंख भी है
वही तेरी मोहब्बत की कहानी
जो कुछ भूली हुई, कुछ याद भी है
तुम्हारा ज़िक्र आया इत्तिफ़ाकन
ना बिगडो बात पर, बात आ गई है