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न जाने कहाँ खो गया वो ज़माना / शैलेन्द्र

न जाने कहाँ खो गया वो ज़माना
यहीं था चमन में मेरा आशियाना
मैं किस-किससे पूछूँ ख़ुद अपना ठिकाना
यहीं था चमन में मेरा आशियाना

वफ़ाओं के वादे वो ही भूल बैठे
जो कहते थे मुझसे मोहब्बत निभाना
यहीं था चमन में …

मुक़द्दर के हाथों हमीं कुछ न सीखे
उन्हें आ गया हमसे आँखें चुराना
यहीं था चमन में …

मैं हूँ अजनबी आज अपने ही घर में
पड़ा अपने साए से दामन छुड़ाना
यहीं था चमन में …

(फ़िल्म - बेग़ाना 1963)