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न जाने दिल को मेरे क्या हुआ है / रंजना वर्मा

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न जाने दिल को मेरे क्या हुआ है
पुराने दिन बुलाना चाहता है

न फूलों से करो तुम रश्क़ ऐसे
बहारों के बिना सूनी फ़िज़ा है

चमकती रेत सागर के किनारे
कि जैसे फर्श चांदी का बिछा है

डरो मत नाम से उल्फ़त के लोगों
मुहब्बत इक जरूरी हादसा है

सनम जाओ नहीं मुँह फेर कर यूँ
बता भी दो कि जो हमसे गिला है

सिखाते नेकियाँ सब दूसरों को
सबक अपने लिये लेकिन जुदा है

लिखो मत नाम उँगली से यहाँ पर
समन्दर ही मिटाने पर तुला है

बहुत मुश्किल हुआ है साँस लेना
हवाओं में जहर इतना घुला है

न कीजे बात अब नाकामियों की
कहाँ मंज़िल है ये किसको पता है