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न फ़क़त यार बिन शराब है तल्ख़ / अहसनुल्लाह ख़ान 'बयाँ'
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न फ़क़त यार बिन शराब है तल्ख़
ऐश ओ आराम ओ ख़ुर्द ओ ख़्वाब है तल्ख़
मीठी बातें किधर गईं प्यारे
अब तो हर बात का जवाब है तल्ख़
साथ देना ये बोसा ओ दुश्नाम
क़ंद शीरीं है और गुलाब है तल्ख़
दिल ही समझे है इस हलावत को
गो ब-ज़ाहिर तेरा इताब है तल्ख़
दिल से मस्तों के कोई पूछे याँ
ज़ाहिदों को शराब-ए-नाब है तल्ख़