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न फोलू सखि कजरायल नयन / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’
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न फोलू सखि कजरायल नयन
लजयती ई पावस रानी
लजयती ई पावस रानी।
ई थिकीह ऋतुराजक रानी, अहाँ हमर जीवन धान,
हिनक मिलन छनि अहँक सङ हमर मनक चिरबन्धन,
नुकौने रहू कनक घट, बिना पिआसहु मरता विज्ञानी,
लजयती ई पावस रानी।
चंचल पग अगुआय न पग पर बाजि उठत मंजीर,
मन्मथ मन मथि पछतयता, पड़तनि कर जिंजीर,
अधरमे मूनि धरू मुसकान मुरूछि कय खसता सब ज्ञानी,
लजयती ई पावस रानी।
भृकुटि कमान न तानिअ सजनी छुटि पड़य नहि तीर,
मुइनिहार तँ मरत, सुरराज, पजरली डाहेँ इद्राणी,
लजयती ई पावस रानी।
धन-कुन्तल मुख - चन्द्रक ऊपर आबि जखन छितराय,
पीतवसन तन झाँपल देखय चपला चमकि पड़ाय,
मुदा सखि फोलू हृदयक मंच कि नाचब हम दूनू प्राणी,
लजयती ई पावस रानी।