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न मरे हैं हम / केदारनाथ अग्रवाल

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न मरे हैं हम
न जिए
बूँद से
बूँद की
लड़ी बने
ओस के
ओस ही
रहे
जहाँ थे
आज भी वहीं हैं
मरे-मरे

रचनाकाल: ०४-०१-१९६८