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न यों बाँसुरी तुम बजाया करो / रंजना वर्मा
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न यूँ बाँसुरी तुम बजाया करो।
न यूँ रात आधी बुलाया करो॥
कन्हैया मैं वृषभानु की नंदिनी
न धीरज मेरा आजमाया करो॥
कहेगा जमाना हमें क्या न क्या
न बदनामियों को बुलाया करो॥
तुम्हारे लिए देह घर त्याग दूँ
मगर यूँ न मुझको सताया करो॥
अगर रूठ जाए तेरी राधिका
उसे प्यार से तुम मनाया करो॥
बनूँ बाँसुरी मैं अधर से लगा
मुझे रात दिन तुम बजाया करो॥
तुम्हारी है राधा हुई बावरी
न दुनिया में उसको लजाया करो॥