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न सोचियें तो ये जीवन भी है मरण मित्रों / सिया सचदेव
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न सोचियें तो ये जीवन भी है मरण मित्रों
जो सोचियें तो यहीं ज़िंदगी है रण मित्रों
मुझे तो अपने लिए राह खुद बनाना थी
मैं कर न पायी किसी का भी अनुसरण मित्रों
समय के साथ बदलता है व्यक्ति का चिंतन
नयी ग़ज़ल ने भी बदला है आचरण मित्रों
मिरे विचार कि पूँजी नहीं चुकी अब तक
मैं कर रही हूँ दिन ओ रात आहरण मित्रों
घुटन सी होती थी आसानियों में रह कर भी
सो मुश्किलों का किया मैंने खुद वरण मित्रों
सिया कहा हैं पुरातन सी संस्कृति के लोग
के सभ्यता का किया किसने अपहरण मित्रों