पँजे भर ज़मीन / पराग पावन
इस धरती पर बम फोड़ने की जगह है
बलात्कार करने की जगह है
दंगों के लिए जगह है
ईश्वर और अल्लाह के
पसरने की भी जगह है
पर तुमसे मुलाक़ात के लिए
पँजे भर ज़मीन भी नहीं है
इस धरती के पास ।
जब भी मैं तुमसे मिलने आता हूँ
भैया की दहेजुवा बाइक लेकर
सभ्यताएँ उखाड़ ले जाती है उसका स्पार्क-प्लग
संस्कृतियाँ पंक्चर कर जाती हैं उसके टायर
धर्म फोड़ जाता है उसकी हेडलाइट
वेद की ऋचाएँ मुख़बिरी कर देती हैं
तुम्हारे गाँव में
और लाल मिर्जई बाँधे रामायण
तलब करता है मुझे इतिहास की अदालत में ।
मैं चीख़ना चाहता हूँ
कि देवताओं को लाया जाए मेरे मुक़ाबिल
और पूछा जाए कि
कहाँ गई वह ज़मीन
जिस पर दो जोड़ी पैर टिका सकते थे
अपना क़स्बाई प्यार ।
मैं चीख़ना चाहता हूँ कि
धर्मग्रन्थों को मेरे मुक़ाबिल लाया जाय
और पूछा जाए कि
कहाँ गए वे पन्ने
जिनपर दर्ज किया जा सकता था
प्रेम का ककहरा ।
मैं चीख़ना चाहता हूँ कि
लथेरते हुए खींचकर लाया जाय
पीर-पुरोहित को और
पूछा जाए कि क्या हुआ उन सूक्तियों का
जो दो दिलों की महकती भाप से उपजी थीं ।
मेरे बरक्स तलब किया जाना चाहिए
इन सबों को
और तजवीज़ के पहले
बहसें देवताओं पर होनी चाहिए
पीर और पुरोहित पर होनी चाहिए
आप देखेंगें कि देवता
बहस पसन्द नहीं करते ।
मुझे फ़ोन पर कहना था और
कह दिया है अपनी प्रेमिका से
कि तुम चाँद पर सूत कातती
बुढ़िया बन जाओ
मैं अपनी लोककथाओं का कोई बूढ़ा
सदियों पार जब बम और बलात्कार से
बच जाएगी पीढ़ा भर मुक़द्दस ज़मीन
तब तुम उतर जाना चाँद से
मैं निकल आऊँगा कथाओं से
तब झूमकर भेंटना मुझसे इस तरह
कि सिरज उट्ठे कोई कालिदास का वंशज ।
अभी तो इस धरती पर बम फोड़ने की जगह है
दंगों के लिए जगह है
ईश्वर के पसरने की भी जगह है
पर तुमसे मुलाक़ात के लिए
पँजे भर ज़मीन भी नहीं है इस धरती के पास ।