भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पंक्तियों का रविवार / नीरज दइया
Kavita Kosh से
लिखते हुए मैं नहीं जानता
कविता की एक पंक्ति
क्या होगी अगली पंक्ति?
कुछ भी हो सकता है
आने वाले समय में
यह भी हो सकता है
कि खाली चला जाए
हर वार!
कविता में पंक्तियां
जब चाहे मना लें रविवार!