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पंखों वाले फूल / सुरेश विमल
Kavita Kosh से
पंखों वाले खिले फूल तो
आए सचमुच बड़ा मजा।
रंग बिरंगी चिड़ियों जैसे
निकल निकल फुलवारी में से
आ बैठे आंगन मुंडेर
गेंदा चंपा और कनेर।
देख देख कर चुनमुन इनको
नाचे ताली बजा बजा।
तितली तब फूलों के पीछे
दाएँ बाएँ ऊपर नीचे
उड़-उड़ कर आ जाए तंग
छोड़े फिर फूलों का संग।
सोचे मन ही मन में कुढ़ती
दूं मैं इनको कौन सज़ा।