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पंचदेवता / अंकावली / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

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1. गणेश
जन स्वतन्त्र गणतन्त्र न चलइछ बिनु गणनायक
विघ्न विविध विध विधि-विधान मे यदि च अनायक
मंगल - मूल अतूल बुद्धि - वैभव - बल दायक
प्रथम पूजिअत देव पंच विच बिदित विनायक
2. सूर्य -
भुवन भवन तिमिरावृत रहितय प्राण स्पन्दन कतहु न
दिशा - विभाग न, काल - कला न समीप दूर युग - छनहु न
नहि गति वेग, मनक आवेग न, ग्रह पथ, अथ-इति वा नहि
तत्सवितु वर्रेण्य ज्योतिर्मय, भानु भजब भगवान हे

3. शक्ति -
विधि अवैध, हरि हारि हटथि, शिव शबहि सुनिश्चित
यदि न सृष्टि - पालन-लय हित, पुनि शक्ति - समन्वित
इच्छा क्रिया ज्ञान रूपा जननी जग जाया
काली लक्ष्मी सरस्वती त्रिगुणात्मिक माया

4. शिव -
संहारहु मे अछि अनन्त सृष्टिक उपहारे
हालाहल पचाय मृत्युंजय उचित विचारे
वामा संगत अंग, अनंग तदपि कय क्षारे
क्रूर क्षुद्र हित रुद्र प्रकृति नित शिव अविकारे

5. विष्णु -
रक्षण - पालन कयनहि लौकहु मे व्यापकता
गीतहु मे युद्धहु मे बुद्धि क शुद्धि प्रखरता
अंक - संगता लक्ष्मी, रक्षा चक्र चक्रमण
कमल कोमलहु प्रकृति, करथि श्रुति - शत्रु निष्क्रमण
सिन्धु वसिन्दहु, गिरिधरहु, गो - गंगा नित संगते
विष्णु राष्ट्र - बर्धिष्णु हो, राम - कृष्ण रुचि रजिते