भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पंचायती सूं पैली / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
कांई, जमानै री बात करो हो ?
बात नीं सा
राड़ मांडो हो
भूलै सूं
फेरूं कदै ना करीज्यो
इसो काम।
ना राखीज्यो
इसो बैम।
पैला घर में तो
भारत ठीक चला लो
फेर आस-पड़ोस री भींतां में
कान लगाया,
पंचायत करण नै।