भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पंछीनामा-2 / इब्बार रब्बी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


खाली जंगल

खाली पड़ा है जंगल
शरद का इन्तज़ार है
पक्षी आएंगे
उनका इन्तज़ार है
डाल खाली है
खड़े हैं वृक्ष
खाली है सरोवर
पक्षियों का इन्तज़ार है।


रचनाकाल : भरतपुर, 17.10.1981