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पंछी-दोय / हरि शंकर आचार्य
Kavita Kosh से
ऐ मुगत है
आं नै कोनी चाहीजै
किणी पुळ या उडणखटोळै रो
सायरो
आंनैं कोनीं बांध सकां
सांप्रदायिकता जात-पांत
अर मिनख रै बणायोड़ै
दूजा जाळां मांय।