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पंछी जग केते दई दई जिन्हें रूप रासि / राय कृष्णदास

पंछी जग केते दई दई जिन्हें रूप रासि,
सुरह दिए हैं हठि हियो जौन छोरि लेत।
भावै पै न मोहिं कोऊ इतो जितो चातक, जो
अपनी पुकार में ही आपुनो दरस देत॥

आज लौं न देख्यो जाहि कैसो रूप कैसो रंग,
है अराल कै कराल, जाने किधौं स्याम सेत।
पूरन पढी पै जानै पाटी प्रेम की पुनीत,
जानत जो री कैसें जात हैं निबाह्यो हेत॥