पास थे
तो दिखे नहीं तुम
मन में
नहीं दिखे जैसे जामुन के फूल
आज दूर हो
तो कितनी साफ है
तुम्हारी छवि
हरे पत्तों में
दूर से चमचमाते
हरे,लाल,काले
जामुन के फलों जैसे
जिस पर जा बैठता है
बार-बार पंछी मन
पास थे
तो दिखे नहीं तुम
मन में
नहीं दिखे जैसे जामुन के फूल
आज दूर हो
तो कितनी साफ है
तुम्हारी छवि
हरे पत्तों में
दूर से चमचमाते
हरे,लाल,काले
जामुन के फलों जैसे
जिस पर जा बैठता है
बार-बार पंछी मन