भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पईसो अर मिनख / शिवराज भारतीय
Kavita Kosh से
पईसो
आदमी सारू बण्यो
का बण्यो आदमी
पईसै सारू
इण बात रो खुलासो
करै
फकत कफन
अर
उणरै हेठै
सूत्यो मिनख।
लाम्बो चोड़ो कफन
नीं राखै
च्यार आंगळ री गो‘ज
अर आखी उमर
बैंकां रै
बांथ भरण वाळै
इण मिनख कनैं नीं है
पईसे रो खुर-खोज।