भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पउम चरिय / स्वयंभू
Kavita Kosh से
वसंत वर्णन
पंकय वयणउ कुवलय णयनउ केयइ केसर सिर सेहरु।
पल्लव कर यलु कुसुम णहुज्जलु पइसरइ वसंत णरेसरु॥