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पकी हुई फ़सल का रंग / संजय चतुर्वेदी
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पकी हुई फ़सल का रंग
सोने जैसा नहीं होता
उसका रंग धूप जैसा होता है
पहाड़ काटकर
छोटी-छोटी सीढ़ियों पर दाने उगाए हैं आदमी ने
उसके बच्चों की तरह पत्थरों से पैदा हुई हैं ख़ुशियाँ
लोहे ने सूरज से धूप खुरची है आदमी के लिए
पकी हुई फ़सल का रंग लोहे जैसा होता है
सूरज जब अगली दुनिया को रोशनी देने जाता है
पकी हुई फ़सल धूप-सी चमकती है सारी रात।