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पक्का / स्वरांगी साने
Kavita Kosh से
पक्का घड़ा लेकर जाती थी
तो रोज़ मिल पाती थी महिवाल से
उस दिन किसी ने बदल दिया घड़ा
कच्चा घड़ा लेकर कूद पड़ी नदी में सोहनी
फिर न प्रीतम मिला न प्रीत, कच्चे ने डुबो दिया
पक्का होता तो पार हो जाती!