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पग-पग चलते इस जीवन में / शिवम खेरवार
Kavita Kosh से
पग-पग चलते इस जीवन में, खुशियों को संत्रास मिला है।
पीड़ा को अनुप्रास मिला है।
हृदयविदारक विषय ला रहे,
इस जीवन में रोज़ चुनौती,
पता नहीं किसको दे दी है,
सही समय ने 'प्राण' फिरौती,
कोई भूत पड़ा है पीछे, हरपल यह आभास मिला है।
पीड़ा को अनुप्रास मिला है।
लड़ना, लड़ना, आगे बढ़ना,
कब तक सम्बल का मंत्र पढूँ,
काले मंज़र, नियति अभागी,
कब तक इनका गणतंत्र पढूँ,
प्रभु जैसा मुझको जीवन में, घोर, कठिन वनवास मिला है।
पीड़ा को अनुप्रास मिला है॥