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पछतावा / होर्खे लुइस बोर्खेस
Kavita Kosh से
मैंने किए जघन्य पाप
औरों से कहीं ज़्यादा ।
मैं नहीं रहा प्रसन्न ।
ग़ुमनामी के हिमनदों को
ले लेने दो मुझे उनकी चपेट में निर्दयता से ।
माता-पिता ने जन्म दिया मुझे
जोख़िम भरे सुन्दर जीवन के खेल के लिए,
पृथ्वी, जल, वायु और आग के लिए ।
मैंने उन्हें निराश किया, मैं ख़ुश नहीं था.
मेरे लिए उनकी जोशीली उम्मीदें पूरी न हुई
मैंने दिमाग़ चलाया सम्मति में
कला के तर्कों, नगण्यता के जाल में ।
वे चाहते थे मुझसे बहादुरी.
मैं वैसा नहीं था ।
यह कभी मुझसे दूर नहीं होती ।
बगल में रहती है सदा,
उदास आदमी की परछाई ।