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पड़ोसी-१ /गुलज़ार
Kavita Kosh से
कुछ दिन से पड़ोसी के
घर में सन्नाटा है,
ना रेडियो चलता है,
ना रात को आँगन में
उड़ते हुए बर्तन हैं.
उस घर का पला कुत्ता--
खाने के लिये दिन भर,
आ जाता है मेरे घर
फिर रात उसी घर की
दहलीज पे सर रखकर
सो जाया करता है!