पढज्या बेटी बढज्या बेटी / सुन्दर कटारिया
मेरे देश की भोल़ी जनता, कद बात समझ या पावैगी
पढज्या बेटी बढज्या बेटी, दौर नया ले आवैगी।
खूब गवाओ गीत बांकल़ी हर घर मै भर भर कै बांटो
खूब बढण दयो खूब पढण दयो, बेटी नै तम मतना नाटो।
सांस्कार की छांया बेटी, रोल़े बहदे दूर करैगी
मात पिता नै स्हेदैगी कोन्या, नही कदे मजबूर करैगी।
साथ निभावै सदा प्यार तै, सबका मान बढावैगी।
पढज्या बेटी बढज्या बेटी, दौर नया ले आवैगी।
एक कल्पना तम भी, अपणे मन मै करकै देखो तो
अपणी लाडो मै भी एक बै, साहस भर कै देखो तो।
जिब उसमै साहस आज्यागा, नाम भी खूब बढा देगी
ठेके गिहुंअा के भर ज्यांगे, तनख्वाह भी पकड़ा देगी।
बण मास्टरणी लाग स्कूल मै, दिशा नई दिखलावैगी।
पढज्या बेटी बढज्या बेटी, दौर नया ले आवैगी।
चैक कराओ पेट कटाओ, क्यूं मानवता भूल्लो सो
देख बुढ़ापा रोअो सो फेर, जगहां जगहां तै कुल्हो सो।
मार पेट मै उस बच्ची नै, कितने हाथ धुआ ल्योगे
तड़प तड़प कै एक दिन सारे, गंगा जी मै जा ल्योगे।
न्यू तो फेर गंगा भी जमना, सी मैली हो ज्यावैगी
पढज्या बेटी बढज्या बेटी, दौर नया ले आवैगी।
कान खोल कै सुण ल्यो सारे, बेटी ब्होत जरूरी सै
गाम के गाम कुवांरे हांडै, उनकी या मजबूरी सै।
खूब पढ़ाओ बेटी नै अर, खुद भी थोड़े पढल्यो तम
गलत सोच के अंधियारे तै, ईब तो ब्हार लिकड़ल्यो तम।
तम बेटी की कदर करोगे, थारे वा भी गुण गावैगी
पढज्या बेटी बढज्या बेटी, दौर नया ले आवैगी।
मेरे देश की भोल़ी जनता, कद बात समझ या पावैगी
पढज्या बेटी बढज्या बेटी, दौर नया ले आवैगी