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पढने लगा ऋचाएँ ताल / योगक्षेम / बृजनाथ श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
मेघ बंधु प्रिय
तुम्हें देखकर
हँसने लगा पियासा ताल
अभी जेठ भर
तपा रात दिन
यह जलती गरमी से
पुरवा ने
साँकल खड़काई
कुछ मादक नरमी से
तुम्हें देखकर
खोल किंवाड़े
हँसने लगा सलोना ताल
पीपल हरियाये
कुआँ सुखी है
मंदिर बजे मँजीरे
शंख बजे
घंटे भी गूँजे
सुनी आरती तीरे
तुम्हें देखकर
भगत जनों सँग
हँसने लगा पुजारी ताल
इधर मछलियाँ
लगीं तैरने
जल तरंग धुन गातीं
बच्चों के सँग
जलमुर्गी भी
शोभा ताल नहाती
तुम्हें देखकर
बूँदों के सँग
पढ़ने लगा ऋचायें ताल