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पढ़भैयै बनतै लाट / अमरेन्द्र
Kavita Kosh से
अक्कड़-बक्कड़ अस्सी-आठ,
जे पढ़थै, ऊ बनतै लाट ।
लाट बनी केॅ दिल्ली जैतै
दिल्ली सेॅ पटना ऊ ऐतै
पटना आय केॅ हुकुम चलैतै
पैतै इनरासन के ठाठ ।
अक्कड़ बक्कड़ अस्सी-आठ
जे पढ़थै, ऊ बनतै लाट ।
अक्षर, ब्रह्मा, सरस्वती माय
अक्षर घोकें मोॅन लगाय
अक्षर देतौ धोॅन लगाय
पढ़बे-लिखबे पूजा-पाठ ।
अक्कड़ बक्कड़ अस्सी आठ,
जे पढ़थै, ऊ बनतै लाट ।
जे नै पढ़थै, जूता सीतै
चोरका-चोरका ताड़ी पीतै
सुअरे नाँखी जिनगी जीतै
धोबी कुत्ता घरे नै घाट ।
अक्कड़ बक्कड़ अस्सी-आठ
जे पढ़थै, ऊ बनतै लाट ।