पढ़ल पंडित अहां / मैथिली लोकगीत
पढ़ल पंडित अहां, पंडित हे पंडित
पोखरिक दिन गुनि दियौ रे की
पोखरिक दिनमा सुदिन दिन छै
पोखरी मंगै छै जयलछ बेटी रे की
मचिया बैसल अहां सासू बड़ैतिन
बाबा खुनल पोखरि, देखब रे की
एमकी लेआओन पुतहू जुनि तोहें जाहू
दोसरे लेआओन पोखरि देखब रे की
जूअबा खेलैत तोहें देओर दुलरुआ
बाबा क्रीड़ओल पोखरि देखब रे की
एमकी लीेआओन भौजो जुनि तोहें जाहू
दोसरे लेआओन पोखरि देखब रे की
पलंगा सुतल तोहें पिया निरमोहिया
बाबा कोड़ायल पोखरि देखब रे की
तोहें तऽ जाइ छैं धनी अपन नैहरबा
हम जाइ छी मोरंग देस रे की
आगू-आगू घीबक घैल, पाछू जयलछ
चलि भेल बाबा के पोखरिया रे की
कहमां बैसयबै घीबक घैल
कहमां बैसयबै जयलछ बेटी रे की
दुअरे बैसयबै घीबक घैल
पोखरी बैसयबै जयलछ बेटी रे की
पयर जे देलनि जयलछ, डांड़ डुबी गेली
तेसरे मे खीरल पताल रे की