भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पढ़ाई / दीनदयाल शर्मा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ऐसी कोई करें पढ़ाई,
जिससे कोई ना जी चुराए ।
नई-नई हों बातें उसमें,
सारी बातें मन को भाएँ ।

बोझ हमें क्यों लगे पढ़ाई,
मन कभी भी टिक ना पाए।
कितना कुछ भी याद करें हम,
फुर्र से गायब हो जाए ।

दे कोई ऐसा ज्ञान हमें भी
मन की गाँठें खुलती जाएँ।
जिज्ञासा हो शान्त सभी की,
भीतर का तम मिटता जाए ।

मिलकर ऐसी करें पढ़ाई,
सबका मन ललचाता जाए ।
फिर कुछ करेंगे जग की खातिर
सबका घर रोशन हो जाए ।।